दोस्तों यह चुदाई की कहानी तब की है जब मैंने अपनी भाभी को चोदा था। अन्तर्वासना की चुदाई की कहानियां पढ़ना मुझे बहुत पसंद है।
मेरा नाम पिंटू है, मेरी उम्र 26 साल है, कद 6 फुट और 7 इंच लंबा लंड है। मैं महाराष्ट्र के नासिक से हूँ।
मेरी भाभी का नाम सोना है.. भैया-भाभी और उनका 9 साल का बेटा मुंबई में रहते हैं। सोना एक गोरी 5.6 फिट लम्बी 28 साल की सुंदर, यौवन से भरी हुई माल हैं। भैया मुंबई में जॉब करते हैं और भाभी ब्यूटी पार्लर चलाती हैं और हर छुट्टी में उनका परिवार नासिक आता है। नासिक में हमारा बंगला है.. उसमें मेरे मम्मी-पापा और मैं रहते हैं।
सोना भाभी और मेरे बीच में इस घटना की शुरूआत भाभी के नया सेल फोन लेने के बाद हो गई थी। भाभी और मेरे बीच में ज्यादा लगाव नहीं था.. मगर फोन चैट से हमारी बातें शुरू हो गईं। वो पूरा मेकअप करके अच्छी-अच्छी प्रोफाइल पिक्स लगा कर रखने लगीं और मैं उन पिक्स की तारीफ करता.. तो वो मुझसे बार-बार पूछतीं कि फोटो में क्या पसंद आया।
मगर मैं खुल कर कहने से डरता था। बस ‘बढ़िया है..’ बोलकर बात टाल देता था। पार्लर में अकेली होने के कारण हमारी चैट बढ़ गई। फिर एक दिन छुट्टी मनाने के लिए उनका परिवार नासिक आ गया।
काफी दिनों बाद इस बार जब मैंने भाभी को देखा तो देखता ही रह गया.. तब सोना भाभी ने ब्लू कलर की साड़ी, व्हाईट कलर का ब्लाउज पहना हुआ था।
क्या बताऊं… मैं तो उस संगमरमर की मूर्ति को देखने में इतना खो गया कि मुझे अपना सुध-बुध ही नहीं रहा और मेरा लंड तंबू बन गया।
भाभी ने मेरे पेंट में बने तंबू को देखा तो भाभी मुस्कुरा उठी और मैं झेंप कर अपने रूम में भाग गया।
उस दिन से सोना भाभी को छुप-छुप कर देखना मेरा शौक बन गया, उनकी हर अदा को मैं अपनी आँखों में समाने लगा। उनका चलना, मटकता पिछवाड़ा देखना, उनके ब्लाउज के अन्दर झाँक कर देखना.. ये सब आम बातें हो गईं।
अब तो मजाक-मजाक में भाभी और मैं द्विअर्थी शब्दों में भी बातें करने लगे, जैसे कि दूध पीना, आम चूसना।
घर पर हमें ज्यादा एकांत नहीं मिल रहा था।
ऐसे ही दिन कटते रहे, मैं खुद चाहता था कि सोना भाभी खुद से कोई पहल करें।
मेरे तीर चालू थे जैसे कि चैट पर नॉन वेज जोक्स भेजना.. भाभी को मादक निगाहों से देखना, उनके सामने अंडरवियर में जाना, थोड़ा बहुत लंड हिलाना आदि.. मगर भाभी ये सब देख कर बस मुस्कुरा कर रह जाती थीं।
अब मैंने ठान लिया था कि सोना भाभी को चोदना ही है। मैंने एक दिन मौका देख कर किचन में भाभी की गांड पर हाथ फेर दिया.. तो वो मुझे गुस्से से देखने लगीं और बोलीं- देवर जी आपको अभी शादी कर लेनी चाहिए।
मैं सिटपिटा कर वहाँ से चला गया। फिर चैट पर मैंने भाभी से सॉरी बोल दिया।
अचानक उनका जवाब आया- कैसा लगा?
मैं सोचने लगा शायद भाभी को मेरा सहलाना पसंद आया। तो मेरी हिम्मत बढ़ गई.. और मैंने जवाब लिख दिया- ऐसा लगा कि जिंदगी भर हाथ ही फेरता रहूँ।
सोना- देवर जी आप पागल हो।
मैं- सच में पागल हूँ, आप हो ही ऐसी कि आपसे दूर नहीं जाया जाता।
सोना- तो पास में क्यों नहीं ले लेते।
मैं- आप मौका तो दो।
सोना- सब्र का फल मीठा होता है, बाय।
अब तो सब साफ था, मुझे ऐसा लग रहा था कि भाभी चुदने को तैयार हैं।
मैं मौके की तलाश में था।
एक दिन मॉम ने मुझे भाभी को बाजार ले जाने को कहा, मैं खुश हो गया। सोना भाभी ने उस दिन मस्त ब्लैक लेगी और रेड लॉन्ग टॉप पहना।
मैंने बाजार जाने के लिए एक्टिवा निकाली तो भाभी बोलीं- देवर जी, आप पीछे बैठो।
सोना भाभी के पीछे बैठकर मैं भाभी से चिपक गया और धीरे से उनकी गर्दन को किस किया.. तो सोना भाभी ने धीरे से ब्रेक लगाकर जैसे मुझे और किस की अनुमति दे दी। मेरा दिमाग घूम गया.. भाभी के बालों की मादक खुशबू मुझे मदमस्त किए जा रही थी।
मैंने धीरे से उनके पाँव से पाँव रगड़ा। बाजार से निपट कर हम घर वापस आ गए।
अब तो छूना और किस करना आम हो गया। सब दोस्तों को बता दूँ कि अब तक मैंने सोना भाभी के नाम की मुठ नहीं मारी थी। मेरी सोच थी कि लंड सोना भाभी की चुत में ही उल्टी करेगा।
एक दिन भाभी मुझे नाश्ता देने मेरे रूम में आईं.. तो लिप किस देकर लंड को छू कर भाग गई।
उसी दिन भैया को मुबंई जॉब पर से अचानक बुलावा आया.. छुट्टी खत्म होने में अभी एक हफ्ता था, भैया बोले- मैं मुबंई चला जाता हूँ, अगले हफ्ते तुमको मेरा भाई छोड़ देगा।
यह कह कर भैया मुंबई चले गए।
शाम को मैंने सोना भाभी को मैसेज किया- आज की रात हम साथ में मेरे कमरे में बिताएंगे।
फिर मैं उनके बेटे के साथ बाहर घूमने गया, उसे ढेर सारी चॉकलेट खरीद कर दीं और अपनी सोना भाभी के लिए एक डार्क चॉकलेट कैडबेरी ली और कुछ कंडोम ले लिए।
घर आकर खाना खाने के बाद सोना भाभी ने अपने बेटे को मॉम-डैड के कमरे में सुला दिया।
मैं ऊपर अपने रूम में जा कर भाभी की राह देखने लगा। मगर दस बज गए फिर भी सोना भाभी नहीं आईं।
मैं खुद उन्हें देखने गया तो रसोई में वो साफ-सफाई कर रही थीं.. तो मैंने उन्हें पीछे से दबोच लिया। उन्होंने मुझे दूर ढकेला और डांटने लगीं- हटो, मॉम-डैड के सोने के बाद आती हूँ।
ये बोलकर नटखट अंदाज में उन्होंने मुझे आँख मारी। मैं भी उसके मीठे लबों को चुंबन करके रूम में आ गया।
भाभी अब सब काम निपटा कर नीचे मॉम-डैड को पानी आदि देकर ऊपर अपने रूम में चली गईं।
अब मुझे एक-एक लम्हा सालों सा भारी लग रहा था। मैंने भाभी के रूम में जाने की ठानी मगर दरवाजा अन्दर से लॉक था। मैंने भाभी को कॉल किया मगर उन्होंने फोन भी नहीं उठाया।
मैं अपने रूम में बिस्तर पर आँखें मूंद कर मासूस सा लेटा रहा। मेरे मीठे सपनों को भाभी ने धोखा दिया, ऐसा लग ही रहा था कि भाभी के मीठे लब मेरे लबों से मिल गए।
जैसे मैंने आँखें खोली.. सोना भाभी मुझसे दूर होकर खड़ी हो गईं। घड़ी में रात के 12:30 बज रहे थे।
भाभी के बाल गीले थे.. भाभी नहाकर आई थीं.. उन्होंने लेवेंडर कलर का नाईट सूट पहना हुआ था। हल्का सा काजल उनके चेहरे को चार चांद लगा रहा था। चूंकि वो एक ब्यूटीशियन थीं तो खुद को एक कयामत जैसा बना रखा था। उनका अंग-अंग चमक रहा था, उनके उभरे हुए स्तन, पतली कमर, भरी हुई गांड मेरी आँखें नशे से भर उठीं।
मैं मेरे बेड से लपक कर उठा और उनके पास को गया तो उन्होंने मुझे धक्का देकर बेड पर गिरा दिया।
रसीली सोना भाभी मेरे लिए सज-धज कर आई थीं, उन्होंने मेरे ऊपर आकर मुझे चुम्बन करना शुरू किया।
मैं उन्हें अपनी बांहों में लेकर चूम रहा था। मेरे हाथ भी सोना भाभी की पीठ और गांड पर चल रहे थे। वो मेरी नेक और सीने पर अपने होंठ घुमा रही थीं। तभी मैंने उन्हें पटक कर अपने नीचे कर लिया, अपने पूरे बदन से उसके बदन को मसाज दे दिया, उनके स्तनों को अपने होंठों में दबा कर चूमने लगा था।
मेरे हर एक दबाव से उनकी सिसकारियां निकल रही थीं ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
उन्होंने मुझे अपने पास जोर से खींच कर मेरी आँखों में आँखें डाल कर कहा- देवर जी, जल्दी से अपनी भाभी को जन्नत की सैर करा दो, अब देर मत करो।
मैंने अपने कपड़े उतार फेंके।
‘देवर जी.. आपका लंड तो बड़ा उछल रहा है।’
‘रसीली भाभी जरा अपने होंठों से इसे चूमो तो सही..’ मैंने कहा।
‘देवर जी, इसे चूमना नहीं, अब चूसना है।’
भाभी ने गप से मेरे खड़े लंड को मुँह में ले लिया। भाभी के हाथ मेरी गांड पर, कभी लंड के नीचे की गोटियों पर घूम रहे थे। मुझे ऐसा आनन्द कभी नहीं मिला था। भाभी की कुछ मिनट की लंड चुसाई के बाद मेरा पानी छूट गया।
रसीली भाभी मेरे लंड का सब पानी पी गईं और फिर होंठों पर जीभ फेर कर बोली- आपका पानी मस्त है देवर जी!
अब मैं भाभी के बाजू में नंगा लेट गया और रसीली भाभी को अपनी बांहों में लेकर चूमना शुरू कर दिया। फिर भाभी को अपनी गोद में बिठाकर उनकी नाइटी ऊपर उठाते हुए निकाल डाली।
सोना भाभी ने डार्क ब्लू कलर की ब्रा और पेंटी पहनी हुई थी। मैं ब्रा के ऊपर से ही भाभी के बोबे चूम रहा था। वो आँखें बंद करके सिस्कारियां भर रही थीं। तभी मैंने उनकी ब्रा का हुक खोल कर ब्रा उतार फेंकी। भाभी अपनी खुली छाती को मेरे सीने से लगाकर शर्मा रही थीं। उन्होंने मुझे कमरे की लाईट बंद करने की जिद की.. पर मैं नहीं माना।
उनके खिलखिला कर हंसने से मुझे नशा चढ़ रहा था। वो मेरे ऊपर चढ़कर, कभी मैं उसके ऊपर चढ़ कर बस जन्नत का मजा ले रहे थे।
फिर मैंने भाभी को सीधा लिटाकर उनके पेट पर चूमते हुए पाँव तक चाट-चाट कर आनन्द लिया। रसीली भाभी भी इस चूमाचाटी का आनन्द लेकर चुदासे स्वर में बड़बड़ा रही थीं- देवर जी, आपके भैया ने कभी इतना मजा नहीं दिया.. जितना मजा तुम्हारे साथ आ रहा है.. आउच अपनी जुबान पर काबू रखो देवर जी.. आ हा.. हाहा उ हाहा हाह.. क्या करते हो.. उन्ह.. गुदगुदी होती है..
मैंने झट से भाभी की पेंटी को अपने दांतों से खींच कर निकाल ली। भाभी ने शर्मा कर पलटी मारी। उन्होंने जैसे ही पलटी मारी.. मैंने उनकी गांड पर तीन-चार प्यारी सी चपतें लगा दीं।
नंगी भाभी अब बहुत शर्मा रही थीं तभी मैंने डार्क चॉकलेट निकाल कर उनके बदन पर मल दी और एक बाईट उनके मुँह में भी दे दिया।
रसीली भाभी चालाक थीं उन्होंने मुझे खींचकर अपने मुँह से मेरे मुँह में चॉकलेट डाल दी.. और अपनी जीभ से ठेल-ठेल कर वो चॉकलेट मुझे खिला दी।
‘भाभी आपकी हर अदा का मैं दीवाना हो गया हूँ।’
मैंने भाभी के स्तन पर लगी चॉकलेट के साथ उनके एक-एक करके दोनों मम्मों को दबा-दबा कर खूब चूसा। धीरे-धीरे मैं नीचे को गया और उनकी वो चिकनी चुत सामने थी, जिसकी सुगंध से मेरे अंग-अंग में रोमांच भर गया।
रसीली भाभी के दोनों पैरों को उठाकर उनकी लाल-लाल चुत को सूँघ कर अपनी जीभ से उसे चाटना शुरू किया ही था कि भाभी तड़पने लगीं.. मेरे बालों में हाथ डालकर सिसयाने लगीं- ओहह उह्हह्ह देवर जी.. बस करो और मत तड़पाओ.. इया हाहाहाहा.. व्वा बेबी..
भाभी की चुत पूरी तरह गीली थी.. उनकी चुत का स्वाद बड़ा नमकीन था।
चुत चाटते हुए धीरे से मैंने अपने हाथ उनके दोनों मम्मों पर रख दिए। भाभी की कामुकता भरी सिसकारियों से कमरे में मादक माहौल छा गया- उ ऊऊ हाहा.. बस देवर जी अब अपने लंड को मेरी चुत में डाल दो।
रसीली भाभी का ऐसा खुलकर बोलना था और मैं खड़ा हो गया। भाभी ने फिर से एक बार लंड को मुँह में ले कर गीला किया।
मैंने कंडोम निकाला तो भाभी ने ना में मुंडी हिलाकर आँख मारी।
रसीली भाभी ने बिना कंडोम के चुदाई का सिगनल दिया। मैंने एक बार चुत चाटी और दोनों पैर के बीच बैठकर लंड को भाभी की चुत पर घुमाकर लंड का टोपा चुत में धीरे से ढकेला। भाभी के मुँह से ‘उह उम्म.. बेबी धीरे.. या हह्हह्ह.. हाहाहा आह देवर जी..’
मेरा लंड अब आधे से ज्यादा अन्दर था तभी रसीली ने कमर हिलाना शुरू कर दिया।
सच कह रहा हूँ बिल्कुल अठारह साल की नादान बच्ची जैसी टाइट चुत थी भाभी की.. अब मेरे ताबड़तोड़ धक्के लगने शुरू हो गए।
‘उ हाहा.. मजा आ रहा है देवर जी।’
मैंने भी आगे झुककर लबों से लब लगाकर बड़ी मजेदार चुदाई शुरू कर दी। भाभी की कामुक सिसकारियां मेरे मुँह से दबकर ‘उह उह.. उहाहा हाहा..’ निकाले जा रही थीं।
भाभी ने अपने दोनों पैर और हाथ मुझसे लिपटा लिए। मैंने भी भाभी को बिना लंड निकाले गोद में बिठाकर उनके चुचे मुँह में भर लिए।
अब सेक्स कंट्रोल भाभी के पास था।
रसीली भाभी मुस्कुराकर लंड पर उछल रही थीं। उनके खुले बाल.. हिलते चुचे आह मुझे बेहद दिलकश लग रहे थे। मेरे हाथ रसीली भाभी की गांड दबा का चुत में लंड का मजा ले रहे थे।
‘ऊऊऊ माँ.. कहाँ से सीखा देवर जी ये सब.. इतना तो मजा इतने सालों में आपके भैया ने भी नहीं दिया।’
रसीली भाभी का अब तक दो बार पानी निकल चुका था.. और अब बारी मेरी थी।
भाभी मुझ पर झुक कर चुचे मेरे सीने से रगड़ रही थीं। मैंने नीचे से रसीली भाभी को ऐसे चोदा कि भाभी की कामुक चीखें बढ़ चली थीं। भाभी ने लब से लब लगाए और फिर से एक बार भाभी स्खलित हो गईं।
भाभी ने अपनी चुत के पानी से मेरे लंड को नहला डाला। मैंने बहुत जोरदार ठुकाई जारी रखी। तभी मेरे वीर्य ने रसीली भाभी के चुत में पिचकारी मारी। भाभी और मेरे चेहरे पर एक तृप्ति का भाव था।
रसीली भाभी ने अब मुझको बांहों में लेकर चुम्मा लिया और हम दोनों निढाल होकर बिस्तर पर बेसुध हो गए।
तो इस तरह से मैंने अपनी रसीली सोना भाभी को चोदा. चुदाई कहानी कैसी लगी.. मुझे जरूर मेल करना।
आपका पिंटू सेक्सी
[email protected]
आगे की कहानी : सेक्सी सोना भाभी की प्यास बुझाई-2