वर्जिन पुस्सी चुदाई स्टोरी में पढ़ें कि मैंने फ्लैट के किराए के बदले अपने जिस्म का सौदा कर लिया था. तो मुझे पहली बार मेरे लैंडलार्ड ने कैसे चोदा?
नमस्कार दोस्तो, मैं कोमल एक बार फिर से आपके सामने हाजिर हूं.
मैं आपको अपनी सहेली की एक दोस्त की कहानी बता रही थी जो मुंबई में नौकरी करने गयी थी.
अब सोनम आगे की कहानी को बतायेगी:
दोस्तो, मैं सोनम आगे की स्टोरी बता रही हूं. अभी तक की मेरी पहली चुदाई की कहानी
बुर के चूत बनने की कीमत-1
में आप लोगों ने पढ़ा कि किस तरह से मुंबई शहर में मुझे नौकरी मिली. फिर मैं वहां रहने गयी तो मुझे होटल में रहना पड़ा और खर्चा ज्यादा होने लगा.
फिर एक आदमी मुझे मिला जो मकान के बदले मेरी बुर मारना चाहता था. मैं भी तैयार हो गयी अपनी पहली चुदाई करवाने के लिए. इस तरह एक घर के कारण मुझे क्या क्या करना पड़ा।
मगर मैंने जो भी किया सब अपनी मर्ज़ी से ही किया क्योंकि मेरे जीवन का एक ही मकसद था- अपने परिवार की परेशानियों को दूर करना।
इसलिए ही मैंने कभी शादी न करने का फैसला लिया।
तो दोस्तो, पढ़ते हैं कहानी में आगे क्या हुआ:
मेरे मकान मालिक ने जिनका नाम अनिल है उस दिन सुबह ही मुझे फ़ोन करके बता दिया कि वो शाम तक मेरे पास पहुँच जायेंगे। मैंने भी अपने ऑफिस से कुछ दिन की छुट्टी ले ली।
मेरे और अनिल जी के बीच ज्यादा बातचीत नहीं हुआ करती थी तो उनको मैंने अभी तक अच्छे से जाना नहीं था।
मैं तो बस अपना काम निकाल रही थी. किसी तरह मुझे मुंबई में एक आलीशान फ्लैट मिल गया था वो भी बिना पैसों के।
फ्लैट के साथ ही वो सब सुख सुविधा जो मैं अपनी कमाई से नहीं ले सकती थी, वो भी मिल गयी थीं.
उस दिन मैं ऑफिस से छुट्टी लेकर दोपहर एक बजे अपने फ्लैट पहुंच गई।
वहाँ पहुंच कर मैं बस शाम के बारे में सोच रही थी कि क्या होगा.
मैं इतना तो जानती थी कि आज मेरी पहली चुदाई जरूर होगी क्योंकि जिस काम के लिए उन्होंने मुझे वो फ्लैट दिया था वो काम वो जरूर करेंगे।
बस दिल में एक डर था क्योंकि वो मेरी पहली चुदाई होने वाली थी और वो भी मेरे से काफी ज्यादा बड़े और मजबूत आदमी के द्वारा।
वैसे शरीर से मैं भी काफी हृष्ट पुष्ट हूँ मगर पहली चुदाई का डर तो सभी को रहता ही है।
बिस्तर पर लेटे लेटे बस यही सब सोच रही थी कि कब मेरी आँख लग गई पता नहीं चला।
शाम को पाँच बजे मेरी आँख खुली. मैं बाथरूम जाकर फ्रेश हो गयी.
मैंने एक हल्का सा गाउन पहना और चाय बना कर टीवी देखने लगी।
करीब 6 बजे अनिल जी का फोन आया और उन्होंने बताया कि वो 8 बजे तक आ जायेंगे और कहा कि खाने में कुछ मत बनाना क्योंकि वो सब लेकर ही आएंगे।
जैसा उन्होंने कहा था, 8 बजे के करीब ही मेरे फ्लैट की घंटी बजी.
मैंने दरवाजा खोला तो अनिल जी सामने थे। वो अंदर आये. हाथ में एक बैग था और कुछ खाने का सामान।
बैग से एक पैकेट निकाल कर उन्होंने मुझे दिया और कहा कि ये तुम्हारे लिए है। उन्होंने कहा कि वो सफर से काफी थक गए हैं और नहाना चाहते हैं।
वो नहाने के लिए बाथरूम चले गए और मैं उनके लिए चाय बनाने चली गई।
कुछ देर में वो आये और फिर हम दोनों ने साथ मे चाय पी।
यूं ही हम दोनों काफी देर तक बातें करते रहे और कब रात के 10 बज गए पता नहीं चला।
उनसे बात करने पर ही मुझे पता चला कि उनकी बीवी को गुजरे काफी समय हो गया था और उनके घर में उनके 3 बच्चे हैं।
बात करते हुए उन्होंने मुझसे कहा कि जो पैकेट दिया है उसको खोलो और जो है उसमें वो मुझे पहन कर दिखाओ।
मैंने पैकेट खोला तो उसमें एक नीले रंग की जालीदार नाइटी थी। उसका आकार देख कर तो मैं सोचने लगी कि इतनी छोटी सी नाइटी मैं इनके सामने कैसे पहनूंगी।
फिर मैं दूसरे कमरे में गई और वो नाइटी पहन ली।
वो इतनी छोटी सी थी कि मेरे घुटने के ऊपर तक ही आ रही थी।
उसमें मेरे कंधे पर डोरी बंधी हुई थी जिससे वो शरीर में टिकी हुई थी।
अगर उस डोरी को खोल दिया जाए तो वो नाइटी सीधा नीचे गिर जाती। उस नीली नाइटी में मेरा गोरा बदन काफी दमक रहा था। उसके जालीदार होने की वजह से मेरी ब्रा और चड्डी साफ साफ़ दिख रही थी।
मुझे उनके सामने जाने में शर्म तो आ रही थी मगर मैंने सोचा कि जब सब कुछ करने का मन बना ही चुकी हूं तो अब क्या शर्माना।
मैं धीरे धीरे बेडरूम की तरफ़ गई और अंदर जा कर देखा तो वो पलंग पर बैठ कर शराब के पैग बना रहे थे।
उन्होंने मुझे देखा और उठ कर मेरे पास आ गए।
वे मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए बोले- अरे वाह जान … तुम इसमें और भी ज्यादा सुंदर लग रही हो।
मेरा हाथ पकड़ते हुए वो मुझे पलंग पर ले गए और अपनी बगल में मुझे बैठा लिया।
शराब का एक ग्लास उठा कर अनिल ने मेरे होंठों पर लगा दिया।
मैंने कभी शराब नहीं पी थी लेकिन उस दिन मैं सब करने को तैयार थी।
मुझे शराब बहुत कड़वी लगी मगर आँखें बंद करके मैंने पूरा गिलास खत्म कर दिया।
फिर उन्होंने भी अपना गिलास खत्म किया. इस तरह हम दोनों ने 3 गिलास शराब पी ली।
अब मेरा सिर भारी होने लगा. पूरे शरीर में नशा छाने लगा था।
मेरी नाइटी मेरी जांघों के ऊपर तक थी और अनिल जी मेरी गोरी जांघों पर हाथ फिरा रहे थे।
अचानक उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे अपनी ओर खींच लिया।
मैं सीधा उनके सीने से चिपक गई।
वो मेरी पीठ को सहलाते हुए मेरी आँखों में देखते हुए बोले- आज से पहले कभी ये सब किया है?
मैंने कहा- नहीं, आज जो हो रहा है सब पहली बार।
ये सुन कर वो मुस्कुराते हुए बोले- मतलब अभी तक तुम पूरी कुंवारी हो?
मैंने हल्की सी सिसकार के साथ कहा- हां … ह्ह!
अब तक मेरी चड्डी गीली हो चुकी थी. शराब के नशे के साथ साथ पहली चुदाई का भी नशा मेरे अंदर छा चुका था।
वो बहुत ही बेशर्मी से मुझसे सब पूछ रहे थे। मेरे अंदर की शर्म भी खत्म होती जा रही थी।
उन्होंने कहा- अब मैं तुझे हमेशा चोदूँगा, अब तू मेरी है।
वो मुझे बहुत ही गंदे तरीके से देख रहे थे और मेरी पीठ को सहला रहे थे।
उन्होंने मुझे साफ साफ बता दिया कि वो आज से पहले बहुत सी लड़कियों को चोद चुके हैं मगर मुझे जैसी लड़की उनको नहीं मिली है. कहने लगे कि पहली बार देखते ही मुझे बिस्तर तक लाने की ठान चुके थे.
फिर उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा और अपने तने हुए लंड के ऊपर रखते हुए बोले- देख … तेरे लिए इतने दिन से बेताब है मेरा लंड!
कसम से दोस्तो, उनके लंड पर जब हाथ रखा तो सोच में पड़ गई थी कि इतना बड़ा और मोटा लंड कैसे मैं अपनी बुर में घुसवा लूंगी!
उस वक्त उन्होंने लोवर पहना था और उनका लंड उसमें ही तमतमाया हुआ था। अभी तक मैंने लंड को देखा नहीं था.
उन्होंने नाइटी के ऊपर से ही मेरे तने हुए दूधों को हल्के से सहलाया और कहा- तेरे ये चूचे मुझे पागल बना रहे हैं।
अचानक से उन्होंने मेरे गले पर एक हाथ लगाया और मेरे चेहरे को अपनी तरफ खींच कर अपने होंठ मेरे होंठों से लगा दिये।
किसी जानवर की तरह वो मेरे होंठों को चूमने लगे। अपनी जीभ निकाल कर मेरे मुँह के अंदर डालते हुए मेरी जीभ को चाटने लगे। मेरी पीठ को कस कर दबाने लगे जिससे मेरे दूध उनके सीने से चिपक गए।
मुझे किस करते करते उन्होंने मुझे खड़ी कर दिया और मेरे होंठों के साथ साथ मेरे पूरे चेहरे को भी चाटने लगे; अपने गालों से मेरे गालों को रगड़ने लगे.
कुछ ही पल में मेरे गोरे गालों में जलन होने लगी।
मैं समझ गई थी कि ये मुझे बहुत बेदर्दी से चोदने वाले हैं।
वो इतने जोश में थे कि उनके अंदर दया नजर ही नहीं आ रही थी।
मेरे होंठों को चूमते हुए उन्होंने मेरी नाइटी की डोरी खींच दी.
डोरी खुलते ही वो नाइटी मेरे बदन से फिसलते हुए नीचे मेरे कदमो में जा गिरी।
मैं बस ब्रा और चड्डी में ही रह गई. मगर उन्होंने तुरंत ही मेरी ब्रा भी उतार फेंकी और अब सीधा मेरे दूधों पर हमला कर दिया।
एक दूध को अपने मुंह में भर कर दूसरे दूध को अपने हाथों से मसलने लगे।
अब तो मुझे भी मजा आता जा रहा था।
मेरे हाथ उनके सिर पर चले गए और मैंने उनके सिर को अपने सीने में दबा लिया।
वो मेरे निप्पलों को दांतों से काटते हुए अपनी जीभ से चाट रहे थे।
देखते ही देखते उन्होंने भी अपनी शर्ट और लोवर को उतार दिया।
अब वो भी केवल चड्डी में ही थे।
उन्होंने मुझे खड़े खड़े ही ऊपर से नीचे तक देखा, मैं भी उनको देखे जा रही थी। उनके सीने पर काफी घने बाल थे. उनके चौड़े सीने के सामने मेरे दोनों दूध तने हुए थे।
वो मेरी आँखों में देख रहे थे. मेरी आँखें अपने आप नीचे हो गईं।
नीचे देखते हुए मेरी नजर उनकी चड्डी पर गई. उनका विशाल लंड चड्डी के अंदर से ही भयानक लग रहा था।
उन्होंने अपने दोनों हाथ मेरे कंधों पर रखे और सहलाते हुए मेरी पीठ फिर मेरी कमर और अंत में मेरी गांड तक ले गए। मेरी गांड को थामते हुए उन्होंने मुझे उठा लिया और मेरे एक निप्पल को होंठों से चूमते हुए मुझे बिस्तर पर लिटा दिया।
मेरी चड्डी को एक झटके में उतार कर फेंकते हुए वो मेरी दोनों टांगों के बीच में आ गए।
अब मेरी गुलाबी बुर बिल्कुल उनके सामने थी।
अपनी दो उंगलियों से बुर को छूते हुए वो बोले- माँ कसम … आज पहली बार किसी गुलाबी रंग की बुर के दर्शन कर रहा हूँ. तुझे चोद कर तो मैं अपने आप को किस्मत वाला ही समझूंगा।
उन्होंने बुर को फैलाते हुए देखा और बोले- वाह … इतनी सुंदर बुर … वह भी कुँवारी!!
फिर वो मेरी बुर पर झुकते चले गए और अपना मुँह मेरी बुर पर लगा दिया।
बहुत प्यार से वो मेरी बुर को मलाई की तरह चाटने लगे। मुझे पहली बार एक अजीब सा मजा मिल रहा था। मेरी जाँघें अपने आप कांपने लगीं।
वो अपनी जीभ को बुर की पंखुड़ियों पर फिरा रहे थे. फिर दो उंगलियों से बुर को फैलाकर बुर के छेद पर अपनी जीभ को घुमा घुमाकर चाटने लगे।
काफी देर तक मेरी बुर को चाटने के बाद उन्होंने अपनी चड्डी निकाल दी। उनका लगभग आठ इंच लंबा लंड मेरी आँखों के सामने पहली बार आया।
उसका मोटा सुपारा देख कर मेरी गाँड का छेद अंदर बाहर होने लगा।
मेरे दिल की धड़कन अचानक से तेज हो गई।
नाग जैसा काला लंड और उसके नीचे वो बड़ा सा अंडकोष बहुत ही भयानक लग रहे थे.
उन्होंने अपने हाथ से उसकी चमड़ी को पीछे किया तो उसका सुपारा बाहर निकल आया।
मैं बिना पलकें झपकाए उनके लंड को देखे जा रही थी। इसी बीच उन्होंने अपनी पोजीशन बदली और अचानक से उल्टे होकर मेरे ऊपर आ गए. उनका लंड मेरे मुँह के पास आ गया और मेरी बुर उनके मुंह के पास में थी।
वो मेरी बुर को चाटने लगे और अपनी कमर हिला कर लंड मेरे मुंह में डालने की कोशिश करने लगे।
मैं सोच में पड़ गई कि क्या करूँ अब?
किसी तरह अपने हाथों से उस मोटे लंड को मैंने पकड़ लिया. उसमें से अजीब सी गंध आ रही थी.
मैं समझ गई थी कि वो क्या चाहते हैं। मैं सुपारे को होंठों पर रगड़ने लगी. मेरे हाथ कांप रहे थे। मैं बिल्कुल भी नहीं चाहती थी कि उसे अपने मुंह में लूं।
कुछ देर मैं होंठों से ही चूमती रही. मगर उससे उनका मन नहीं भरा और उन्होंने अपने हाथ से लंड को मेरे मुंह में डाल दिया.
फिर वो अपनी कमर हिलाने लगे जिससे लंड मुँह में अंदर बाहर होने लगा।
मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मुझे उल्टी हो जाएगी. इतना बड़ा और मोटा लंड मेरे मुँह में समा नहीं रहा था।
वो तेज़ी से मेरे मुँह में लंड अंदर बाहर करने लगे. काफी देर तक करते रहे और मुझे अहसास नहीं हुआ कि क्या होने वाला है और उन्होंने अपना पूरा वीर्य मुँह में भर दिया।
कसम से दोस्तो, मुझे बहुत ज्यादा गंदा लगा उस वक्त। कुछ वीर्य तो सीधा अंदर चला गया और कुछ मेरे गालों पर बहने लगा।
उन्होंने लंड बाहर निकाला और मैंने कपड़े से अपने गालों को साफ किया।
सीधे होकर वो मेरे ऊपर ही लेट गए और मुझे फिर से चूमने चाटने लगे।
उनका लंड थोड़ी देर सुस्त हुआ मगर फिर से पहले जैसे ही तन कर खड़ा हो गया।
वो अब बिना देरी किये मुझसे बोले- चल मेरी जान … अब तैयार हो जा, अब बर्दाश्त नहीं हो रहा.
ये कहकर उन्होंने तुरंत मेरी गांड के नीचे एक तकिया लगाया जिससे मेरी बुर ऊपर उठ गई.
गोलगप्पे की तरह फूली हुई मेरी बुर में अपना थूक लगाते हुए वो मुझसे बोले- बोल? तैयार है न तू?
मैं भी उस वक्त बहुत गर्म हो गई थी. अपनी आँखों से मैंने हां का इशारा किया।
उन्होंने बुर में लंड का सुपारा रगड़ना शुरू किया. इस बीच वो मेरे ऊपर आकर मुझे अपनी बांहों में जकड़ने लगे. मेरे दोनों दूध उनके सीने में दब गए।
अपने दोनों पैरों से मेरे पैरों को अनिल जी ने फैला दिया और मेरे दोनों हाथों को जकड़ कर बोले- पहली बार है तेरा, थोड़ा दुखेगा पर तू चिंता मत करना, मैं तुझे जन्नत का मजा दूँगा।
ऐसा कहते हुए उन्होंने मेरे होंठों को अपने होंठों से बंद कर दिया।
उनका लंड बिल्कुल मेरी बुर के छेद पर ही लगा हुआ था। शुरू में उन्होंने हल्का सा दबाव दिया मगर लंड मेरी बुर के छेद में नहीं गया.
फिर एक धक्का दिया तो घप्प … से उनका सुपारा मेरी नाजुक बुर छेद में घुस गया.
मैं कसमसा गई।
उनको लगा कि मैं छूट जाऊंगी तो मेरा हाथ छोड़कर अपने दोनों हाथ मेरी पीठ पर ले जाकर मुझे अपने से चिपका लिया।
इस बार एक उन्होंने जोर का धक्का लगा दिया। लंड किसी चाकू की तरह बुर को चीरता हुआ पूरा बच्चेदानी तक जा घुसा।
मेरी आँखों के आगे अंधेरा छा गया.
आँसुओं की झड़ी लग गयी.
मैं हिल तक नहीं पा रही थी. उनका विशाल शरीर मुझे दबाये हुए था. मेरी साँस अटक सी गई थी।
इतना ज्यादा दर्द हो रहा था कि बयां करना मुश्किल है।
लंड मेरी बुर में बुरी तरह धंस गया था।
उन्होंने आधा लंड बाहर निकाल कर फिर से अंदर पेल दिया। ऐसा उन्होंने कई बार किया. वो बुरी तरह मेरे होंठों को जकड़े हुए थे. आवाज तक नहीं निकल पा रही थी मेरी।
करीब 10 मिनट बाद मेरा दर्द कुछ कम हुआ और मेरी बुर ने भी पानी छोड़ना शुरू कर दिया.
वो काफी अनुभवी तरीके से जान गए कि अब सब कुछ शांत हो गया है।
मेरे होंठों को छोड़कर बोले- ले खोल दी तेरी चूत, अब कुछ नहीं होगा चिंता मत कर। अब तुझे जितना मजा लेना है ले सकती है।
मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि इतना विशाल लंड मेरी बुर में समा गया था।
अब वो हल्के हल्के लंड अंदर बाहर करने लगे। बुर में लंड टाइट जा रहा था लेकिन अब मुझे अच्छा लग रहा था।
जिस मजे के बारे मे मैं सोचती थी वो मुझे मिल रहा था।
मेरी आँखें अब बंद होने लगी थीं.
मजे के मारे मेरे मुंह से गंदी गंदी सिसकारियां निकलने लगीं। आज पहली बार अपने बाप की उम्र के आदमी के नीचे मैं पहली चुदाई का पहला मजा ले रही थी।
अनिल जी ने अब अपनी रफ्तार तेज करनी शुरू कर दी।
मेरे मुंह से ‘आह्हह … आआ … आहहाह … ऊईई … आआहह … आआईई …’ जैसी आवाजें अपने आप ही निकल रही थीं.
अब वो भी गंदी भाषा में बात करने लगे- बोल मेरी जान … कितनी चुदेगी मेरे लंड से?
मैं भी हवस में बोली- जितना आपका मने हो उतना चोद लो.
वो बोले- फट जायेगी तेरी?
मैं बोली- फट जाने दो.
वो- और तेज करूं क्या डार्लिंग?
मैं बोली- हां … करो ना … आह्ह … करो!
पता नहीं ये सब मेरे मुँह से सुन कर उनका जोश और ज्यादा बढ़ गया और वो अपनी पूरी ताकत से मेरी चुदाई करने लगे।
मेरी भी गांड अपने आप उचकने लगी और मैं भी चुदाई का पूरा मजा लेने लगी।
जल्द ही मेरी आवाज तेज हुई- आह्ह … आईई … याह … आह्ह … ऊईई … आह्ह … करते हुए मैं झड़ ही गई.
इसके बाद वो भी जल्द ही झड़ गए और मेरी बगल में लेट गए।
दोस्तो, ये तो बस मेरी चुदाई की शुरुआत हुई थी। इसके बाद उस रात में मैं 2 बार और चुदी। फिर तो ये रोज का काम हो गया. ऐसा नहीं था कि वो मुझे प्यार नहीं करते थे, वक़्त के साथ साथ हम दोनों ही काफी घुल मिल गए।
चुदाई के साथ साथ एक दूसरे की परेशानी को समझना और दूर करना, अब एक अलग रिश्ता सा बन गया था हम दोनों के बीच में जो न तो पति पत्नी का था और न ही बॉयफ्रेंड गर्लफ्रेंड वाला।
मगर जो भी था मुझे भी अच्छा लग रहा था. हम दोनों की उम्र कभी भी हम दोनों के बीच नहीं आई। ये रिश्ता आज भी वैसे ही चल रहा है।
तो दोस्तो, ये मेरी पहली चुदाई की कहानी!
मैं आपकी दोस्त कोमल उम्मीद करती हूं कि आपने कहानी का पूरा मजा लिया होगा.
पहली चुदाई की कहानी के बारे में आप अपने संदेश मुझे भेजें. मुझे आप सब पाठकों के फीडबैक का बेसब्री से इंतजार है.
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