यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
दोस्तो, अन्तर्वासना के सभी प्रमियों को मेरा नमस्कार. मैं आपका रवि खन्ना, फिर से अपने जीवन की सच्ची घटना, नीरजा के बाद अमीषी की पलंग तोड़ चुदाई का किस्सा लेकर हाजिर हूँ.
अब तक आपने पिछले भाग में पढ़ा कि मेरे बर्थ डे के अगले दिन जैसा हमने तय किया था, मैं अमीषी के पास पहुंच गया था. मैंने उसकी जींस और टॉप उतार दिया था. उसकी ब्रा जैसे ही मैंने उतारी, मैं उसकी नीबू जैसी चुचियों को देख कर पागल हो गया था. मैं उसकी चुचियों को जोर जोर से मसलने लगा.
वो मादक सिसकारियां लेने लगी. फिर मैंने एक हाथ उसकी पैंटी में डाला और अपनी दोनों उंगलियों के बीच में उसकी चूत को लेकर मसलने लगा. उसने मेरा हाथ वहां से निकाल दिया, शायद वो अभी झड़ना नहीं चाहती थी. उसने मेरी टी-शर्ट उतारी और मेरी बनियान उतारते हुए बोली- इस सर्दी में मेरे कपड़े तो सारे उतार दिए, खुद पहने खड़े हो. उतारो जल्दी इनको भी.
उसकी ऐसी बात सुन कर मैंने उसे कस कर अपनी बांहों में पकड़ा, उसके होंठों पर अपने होंठ रख कर उनको चूसने लगा. वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी.
एक हाथ से मैंने उसकी पैंटी उतारी, उसने एक के बाद एक अपना पैर उठा कर पैंटी को पूरी तरह से निकाल दिया.
मैंने उसको किस करते हुए ही उठाया और अपनी कमर के आस पास उसके दोनों पैर करा दिए. उसने मुझको अपने पैरों से कस के जकड़ लिया. उसकी चूत की गर्माहट और गीलापन मुझको अपने पेट पर महसूस हुआ. मैंने अमीषी को दीवार से लगाया और अपना लोवर उतार कर अपना 8 इंच लंबा लंड उसकी चूत पर लगा कर उसका दवाब उसकी चूत पर दिया.
वो नो नो नो बोल कर मुझसे दूर हो गई.
मैंने पूछा- क्या हुआ बाबू?
उसकी नजर मेरे लंड पर रुक गई थी और आंखें फाड़ कर उसे देखे जा रही थी. मेरा लंड अपने पूरे जोश में खड़ा था. वो कमसिन थी, कोई भी लड़की होती तो उसकी हालत भी ऐसी ही दिखती.
मैंने फिर पूछा- अमीषी व्हाट हैपेंड?
उसने मेरे पास आकर लंड को अपने हाथ में लिया और बोलने लगी- बाबू, ये अन्दर कैसे जाएगा?
मैंने उसे दीवार से उल्टा लगा कर उसकी गांड की दरार में अपना लंड रखा और कहा कि डार्लिंग वो तुम मुझ पर छोड़ दो.
वो बोली- मैंने रूम सजाने मैं बहुत मेहनत की है. चलो वहीं चलते हैं.
मैं बोला- ठीक है चलो.
उसने अपने और मेरे कपड़े उठाए और बोली- चलो.
मैं बोला- कपड़े मुझको दो.
उसने दे दिए.
मैंने कहा- तुम इसे पकड़ के ले चलो.
उसने कहा- किसे?
मैंने इशारा अपने लंड की तरफ करके कहा- इसे.
वो हंसी और अपने सीधे हाथ से मेरा लंड पकड़ कर वो आगे और मैं पीछे जाने लगे. मैं पीछे से उसे देखे जा रहा था मेरा लंड उसके एक चूतड़ से भी बड़ा था. वो जानबूझ कर अपनी गांड मटका कर चल रही थी. वो कैट वॉक कर के सीढ़ियों से उतर कर नीचे आई. उसने मुझको दिखाया कि पापा वहां नीचे बेहोश सोए हैं. उनका कोई डर नहीं.
हम दूसरी मंजिल पर थे. जहां दो रूम थे एक उसका, एक उसके भाई का. ऊपर जाने के लिए सीढ़ियों पर गेट लगा था, जिसको अमीषी ने अन्दर से कुंडी लगाई थी. उनका घर सुंदर था. फिर वो मुझको सीधे अपने भाई के रूम में ले गई. रूम देखते ही मेरे मुँह से वाओ निकल गया. दीवार पर 42 इंच की बड़ी सी एलसीडी लगी थी. रूम में अच्छी पेंटिंग हो रही थी और चारों तरफ कैंडल जली हुई थीं. लाइट बन्द थी, तब भी इतनी रोशनी थी कि लाइट की जरूरत नहीं पड़े.
रूम में सबसे अच्छी चीज थी बीच में पड़ा बड़ा सा बेड. बड़े अच्छे मुलायम गद्दे पड़े थे. उस पर सफेद बेडशीट, बेडशीट के बीचों बीच गुलाब के फूलों से दिल बना हुआ था. उसने बाद में मुझको बताया था कि हमारी पहली चुदाई के लिए ये कैंडल और बाकी सब सजावट उसने दिन में की थी.
दोस्तों मैंने नंगी अमीषी को उठाया और बेड पर पटक दिया और खुद भी उसके ऊपर चढ़ गया. सच कहूं वो मेरे नीचे लेटी ऐसी लग रही थी, मानो हाथी के नीचे कुतिया लेटी हो.
मेरा मन नहीं भरा. मैंने उठ कर लाइट जला दी. रूम में 4 लाइटें थीं, जिनसे बॉडी का एक एक बाल देखा जा सकता था.
मैंने कहा- गेट लगा दूँ?
अमीषी बोली- कोई जरूरत नहीं … आज कोई रोकने वाला नहीं तुमको … कुछ भी करो.
मैं उछल कर बेड पर उसके ऊपर कूद पड़ा और मेरा आज कुछ स्पेशल करने का मन हुआ … क्योंकि इतनी फ्रीडम मुझको आज तक नहीं मिली थी.
मैंने उसे पूछना सही समझा- अमीषी तुम्हारी कोई बात … जो नहीं करनी हो?
वो बोली- आज आप हर तरह से फ्री हो बाबू.
मैंने बिना टाइम गंवाए अमीषी को सीधा लिटाया. उसको ऊपर से नीचे की तरफ चाटने लगा. पहले गालों को, फिर उसके होंठों को पिया और गर्दन पर किस करते हुए उसकी चुचियों को खूब पिया. चूचे तब तक पिए, जब वो लाल ना हो गए. और वो दर्द से ‘आह ह्म्म्म अअअअअ..’ नहीं करने लगी.
फिर मैंने उसके पेट को चूमा. अब धीरे से मैं उसकी चूत पर आया. वैसे तो मैं हर किसी की चुत नहीं चाटता हूँ, पर अमीषी की चूत देख कर मुझसे रुका नहीं गया और मैंने धीरे से अपनी जीभ बाहर निकाल कर चूत पर धीरे से नीचे से ऊपर की तरफ फेरी. अमीषी ने अपनी जांघें आपस में भींच लीं.
मैंने उसकी टागें चौड़ी कीं और उसके पैरों के बीच में बैठ कर उसकी चुत पर अपनी जीभ फेरता रहा. शायद उसकी छोटी और कड़क चूत चाटने कर मुझको मजा आ रहा था, तभी मैं बारी बारी से उसकी दोनों संतरे जैसी गुलाबी फांकों को अपने होंठों में लेकर चूसने लगा.
फिर धीरे से अपनी जीभ उसकी चुत के छेद में घुसाई, उसको इसे दर्द होने लगा और ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह… आई माँ ओह्ह…’ बोलने लगी.
मैं मन ही मन ये सोच कर के बिना कुछ कहे खुश होने लगा कि इसको जीभ से दर्द हो रहा है, तो आज मेरे लंड को कैसे लेगी.
तभी वो झड़ने लगी तो मैंने उसकी चूत से मुँह हटा लिया. झड़ने के बाद वो खड़ी हुई और मेरा लंड अपने हाथ में लेकर आगे पीछे करने लगी. मैंने अपनी आंखें बंद कर लीं. उसने मेरी तरफ देखा और धीरे से अपनी जीभ मेरे गुलाबी नुकीले टोपे पर फेरी. मेरी तो जान ही निकल गई. फिर वो मेरा लंड धीरे से अपने मुँह में लेने लगी. उसने अभी आधा लंड ही लिया होगा और उसको अपने मुँह में आगे पीछे करने लगी. मेरा लंड उसके मुँह में ही फंस कर जा रहा था. मुझको पहली बार लंड चुसवाने का मजा आ रहा था, जो मुझको चुत मारने से भी ज्यादा मजा दे रहा था.
करीब 5 मिनट लंड चूसने के बाद मेरा माल निकलने लगा. मैंने उससे कहा- हट जाओ, निकलने वाला है.
वो बोली- निकलने दो.
मैं उसके मुँह में झटके मारते हुए झड़ने लगा. वो मेरा वीर्य पीने लगी, पर कुछ ही पी सकी. कुछ माल उसने अपनी चूचियों पर लगा लिया. उसको आज पता लगा कि मेरा बहुत वीर्य निकलता है.
मैंने कहा- अमीषी तुम बहुत अच्छा लंड चूसती हो … कितनों को चूसा है पहले?
वो मेरी तरफ देखते हुए बोली- बस एक का.
मैंने पूछा- किसका?
वो बोली- बाद में बताती हूँ. पहले तुम बताओ, तुमने अब तक कितनी लड़कियों की ली है?
मैंने बताया- चार की.
वो बोली- गुड.
वो अपने हाथ में लेकर मेरा लंड हिलाने लगी. एक मिनट में लंड फिर से खड़ा हो गया. वो बोली- बड़ी जल्दी है?
मैं बोला- बहुत दिन से भूखा जो है.
वो हंस दी.
मैंने कहा- अमीषी आर यू रेडी?
वो मेरे लंड को किस करके बोली- या ऑफकोर्स …
वो उठ कर ड्रेसिंग टेबल से वैसलीन ले आई और उसने मुझको दे दी. मैंने वैसलीन लेकर अपने लंड पर लगाई. फिर अमीषी को लिटाकर उसके पैरों को वी शेप में खड़ा किया और अपने घुटने उसकी जांघों लगा कर लंड उसके छेद पर लगा दिया. उसके कंधे मैंने अपने हाथों से पकड़े हुए थे, क्योंकि मुझको पता था कि क्या होने वाला था.
मैंने जैसे ही लंड का दवाब उसकी चुत पर डाला, अमीषी की आंखें चौड़ी होती गईं.
वो बोली- बाबू, मेरी पर भी लगाओ वैसलीन.
मैंने उंगली में वैसलीन ली और उसकी चूत में अच्छे से लगा दी.
मैंने अमीषी से कहा- चूत को पकड़ कर खोलो.
उसने अपने हाथों से अपनी फांकें पकड़ कर फैला दीं. मैंने मोटा लंड अपने हाथ में पकड़ा और उसे उसकी चूत के छेद पर रख कर अन्दर धक्का दे मारा. अभी टोपा ही अन्दर गया था कि उसने ‘सीईईई आईईए..’ दर्द भरी मादक सिस्कारियां निकाल दीं.
मैं रुका, अपने हाथों में उसका चेहरा लिया और किस करके हाथों से उसकी चूचियां धीरे धीरे सहलाईं. वो लंड अन्दर लेने को चूत ऊपर करने लगी. मैंने मौके को समझा और उसके कंधे पकड़े हुए लंड पर प्रेशर बना कर पूरा जोर से झटका उसकी चूत में दे मारा. मेरा पूरा लंड अमीषी की चूत चीरता हुआ अन्दर उसकी बच्चेदानी से जा लगा. वो चिल्लाई- अअअअअ मर गई बाबू हटो …
मैं उसको हिलने भी नहीं दे रहा था.
मैं लंड चूत मैं डालकर रुका रहा. वो तड़फ कर बोलती रही- आह … बाबू फट गई है … हटो ना प्लीज!
मैंने उसको किस किया और थोड़ा सा लंड बाहर किया … क्योंकि पूरा उसे फिर से दिक्कत देता.
मैं उतने ही लंड को धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगा. मेरा पूरा लंड चूत में फंस कर अन्दर बाहर हो रहा था.
कुछ देर बाद अमीषी का दर्द मजे में बदल गया. मुझको लगा कि अब सब ठीक है. मैं पूरा लंड अन्दर बाहर करने लगा. अमीषी भी पूरी मस्ती में अपने पैर मेरी कमर पर लेकर ‘अअअह अअअह अअअओह … आप पहले क्यों नहीं मिले … इतना मजा मुझको पहली बार मिला … अअअअअ ईईई ओईई … डालते रहो डालते रहो … फ़क मी फ़क मी..’ बोल कर मादक सिस्कारियां लेने लगी. वो कोशिश कर रही थी कि पूरा लंड अन्दर कैसे किया जाए.
मैंने उसकी इस मस्ती को देखा तो जल्दी से उसको बेड से नीचे उतारा. उसके हाथ बेड पर रखवाए और उसकी कमर अपने हाथों में पकड़ी, जो बहुत पतली सी थी. अमीषी समझ गई कि अब पीछे से अटैक होगा.
वो बोली- चलो बाबू … डालो भी जल्दी … अब रुका नहीं जाता.
मैंने बिना देर किए पीछे से लंड फच की आवाज के साथ उसकी चुत में डाल दिया ‘आउच अअअअअ यस यस..’ बोल कर दस मिनट बाद वो मेरे लंड पर ही झड़ गई. मैं स्पीड से उसे चोदता रहा और सारे रूम में फच फच फच की आवाजें गूंजती रहीं.
कुछ देर बाद मेरा भी रस निकलने को हुआ. मैंने उससे पूछा- लास्ट टाइम एमसी कब आई थी?
वो बोली- बस दो तीन दिन बाद आने वाली है.
मैंने ये सुन कर उसकी चुत अपने वीर्य से भर दी और झटके मार कर उसे ऐसे ही उल्टा बेड पर लिटाया और खुद लंड उसकी चूत में ही डाल कर उसके ऊपर पड़ा रहा.
जब लंड सिकुड़ गया तो खुद ही चुत से निकल गया. फिर वो उठी और उसने गिलास में रखा दूध मुझको दिया.
मैं बोला- इसकी क्या जरूरत थी?
वो बोली- पी लो, आज बहुत मेहनत करनी है तुमको.
वो ये बोल कर हंस दी.
मैं दूध पी रहा था, तब वो अपनी चूत देख कर बोली- बाबू सूज गई है … देखो ना!
ये बोल कर उसने मेरे सामने अपनी नन्हीं सी चूत रख दी. मैंने उंगली से सहला कर उसकी चूत देखी और अपनी बड़ी उंगली उसकी चूत में डाल दी. ‘अअअ अअ …’ करके उसने अपनी आंखें बंद कर लीं.
मैंने कहा- अमीषी वो चूतिया कौन था, जिसने तुम्हारा छेद चौड़ाया नहीं गया … लंड था उसका या लुल्ली थी.
अमीषी मेरी तरफ देख कर बोली- मेरा भाई.
मैं ये सुन कर दंग रह गया- तुम्हारा भाई?
दोस्तो, आगे क्या हुआ? अगले भाग में पढ़ें. अभी तक की ये सच्ची कहानी आपको कैसी लगी, जरूर बताना. आपका रवि खन्ना.
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