यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
अभी तक की सेक्स कहानी में आपने पढ़ा कि हम दोनों खाने के बाद नंगे ही चिपक कर सो गए थे.
अब आगे:
कोई 6 बजे मेरी आंख खुली, तो देखा कि नीतू पेट के बल अभी भी सो रही थी. उसके एक मोम्मे का निप्पल साइड से झांक रहा था और उसकी गांड लाइट के कारण चमक रही थी. ये देख कर मेरे लंड ने सैल्यूट मारा. मेरा दिल कर रहा था कि नीतू को ऐसे ही लेटे लेटे एक बार फिर चोद दूँ. फिर सोचा कि आज तो इसे सारी रात ही चोदना है, तो मैंने उसकी नंगी गांड पर हाथ फेरते हुए नीतू को जगाया.
उसने आंखें खोलीं और मेरी तरफ मुस्कुरा कर बोली- क्या टाइम हुआ है?
मैंने कहा- शाम के 6 बज गए. चलो तैयार हो जाओ, फिर घर चलते हैं.
नीतू जल्दी से उठ कर बैठ गयी और अपनी चूत के पास जांघों को खुजाते हुए बोली कि लेट हो गए न … मैं बस पांच मिनट में नहा कर आई.
मैं बोला कि घर जा कर नहा लेना, अभी बस हाथ मुँह धो लो.
नीतू मेरी बात मान कर बाथरूम में नंगी ही चली गयी. फिर वो मुँह धो कर आ गयी और टॉवल से मुँह साफ करने लगी. उसके बाद मैं भी मुँह धो कर आ गया. नीतू नंगी खड़ी शीशे के आगे अपने बिखरे बाल संवार रही थी. मैंने पीछे से जाकर उसे पकड़ लिया, मेरा लंड जो उसकी गांड देख कर खड़ा हो गया था. मेरा लंड उसकी गांड से टकराने लगा.
वो मुझे शीशे में से देख कर बोली- अब आप भी जल्दी से तैयार हो जाओ, ये सब अब हम वापस आकर करेंगे.
मैंने नीतू के कूल्हों से पकड़ कर उसकी गर्दन पर किस किया और अपने कपड़े पहनने लगा. नीतू ने भी अपने कपड़े पहने और हम जाने लगे.
नीतू ने मुझे पीछे से आवाज़ लगाई- सुनो!
मैंने मुड़ कर देखा, तो वो मेरे पास आई और मुझसे लिपट कर मेरे होंठों पर अपने होंठ रख कर मुझे चूमने लगी.
कुछ देर बाद वो मुझसे अलग हुई और बोली- अब चलो.
मैंने स्टूडियो लॉक किया और कार से नीतू के घर पहुंच गए. मैंने कार बाहर गेट के पास ही पार्क कर दी. फिर नीतू ने डोर बेल बजाई, तो दरवाजा आशा ने खोला. आशा ने इस वक़्त गुलाबी फूलों वाली प्रिंटेड साड़ी पहन रखी थी. वो मेरी और नीतू की तरफ देख कर मुस्कुराई और बोली कि वन्दना मेमसाब तो डुक्कू को लेकर डॉक्टर के पास गई हैं.
ये सुन कर नीतू ने आशा को सामान पकड़ाया और ड्राइंगरूम में जाने लगी. आशा सामान लेकर नीतू के रूम में जाने लगी, तो मैं पीछे से आशा की मटकती हुई गांड देखने लगा. फिर मैंने जल्दी से जाकर आशा की गांड दबा दी. आशा ने चौंक कर पीछे देखा और मुड़ कर मेरा लंड दबा दिया. उसके चेहरे पर आज सुबह की चुदाई की रंगत साफ झलक रही थी.
फिर वो हंस कर नीतू के कमरे में चली गयी. मैं भी जा कर नीतू के पास बैठ गया.
एक मिनट बाद आशा दो गिलास पानी लायी, तो नीतू आशा से मजाक करते हुए कहा- आशा, आज तो तू बड़ी खिली खिली लग रही है.
ये सुन कर आशा झेंप गयी और वहां से भाग गई. फिर मैंने नीतू की नंगी जांघों पर हाथ फेरते हुए उससे कहा कि खिल तो आज तुम भी बहुत गयी हो.
ये कह कर मैंने नीतू के होंठों पर अपने होंठ रख दिए. एक लंबे स्मूच के बाद उसने मुझे अलग किया और बोली- चलो अब और कुछ नहीं करना. भाभी कभी भी आ सकती हैं … और मुझे नहाना भी है.
मैं बोला- यार, इस लंड का तो कुछ करो … ये बहुत मचल रहा है. इसे थोड़ा मुँह में ले कर चूस ही दो.
नीतू बोली- डार्लिंग थोड़ा सब्र करो … मैं आज सारी रात तुम्हारे साथ ही रहने वाली हूँ.
उसने आशा को आवाज दी और अपने रूम में जाने लगी. मैं उससे बोला- क्या आशा को तुम मेरे लिए बुला रही हो?
नीतू हंस कर बोली- वैसे ख्याल बुरा नहीं है, अभी आप उसी से मजे लो.
मैं बोला- ठीक है … फिर मैं उसे तुम्हारे ही रूम में चोदता हूँ.
नीतू बोली- ठीक है, पर जो भी करना जल्दी करना … क्योंकि भाभी का कुछ पता नहीं कि कब आ जाएं.
मैंने नीतू को एक किस की और कहा- तुम जरा देर तक नहाना.
उसने ओके बोला और इतने में आशा भी आ गयी.
नीतू बोली- आशा, जरा मेरे रूम की सफाई कर दो.
वे दोनों रूम में चली गईं. थोड़ी देर बाद मैं नीतू के रूम में गया, तो देखा नीतू बाथरूम में जा चुकी थी और आशा झुक कर बेड की चादर बदल रही थी. मैं चुपके से उसके पीछे गया और उसकी गांड पर लंड लगा कर उसे दबोच लिया.
मेरे ऐसा करने से वो थोड़ा डर गई और बोली- क्या कर रहे हो साब जी … अन्दर दीदी नहा रही हैं?
मैं बोला- तुम्हारी दीदी नहाने में अभी बहुत टाइम लगाएगी … तब तक हमारा एक राउंड तो लग ही जाएगा.
ये बोल कर मैंने आशा को बेड पर लिटा दिया और उसके होंठों को चूमने लगा. उसके सफेद ब्लाउज के ऊपर से उसके मोम्मे दबाने लगा. मेरे ऐसा करने से आशा भी गर्म हो गयी और अपने एक पांव से दूसरे पांव को रगड़ने लगी. फिर मैंने उसकी एक टांग मोड़ी और नीचे से उसकी साड़ी के अन्दर हाथ डाल कर उसकी टांगों को मसलता हुआ धीरे धीरे अपना हाथ उसकी जांघों पर फेरने लगा.
आशा के मुँह से बस ‘आह उफ्फ्फ आह..’ की आवाज़ें आने लगीं. फिर मैंने अपना हाथ उसकी कच्छी के ऊपर से ही उसकी चूत पर फेरना चालू कर दिया. मैंने महसूस किया कि उसकी कच्छी इतने में ही गीली हो चुकी थी. मैंने उसकी कच्छी की साइड से अपनी दो उंगलियां उसकी चूत में घुसा दीं और उसकी चूत के दाने को मसलने लगा. मेरी दोनों उंगलियां उसकी चूत के पानी से सराबोर हो चुकी थी.
आशा मस्ती से बस ‘ओह आह उफ्फ सी स सी..’ कर रही थी.
मैंने दोनों उंगलियां उसकी चूत से निकाल कर उसके मुँह में दे दीं. वो मेरी उंगलियों को लंड की तरह चूसने लगी.
फिर मैंने उसे खड़ा किया और उसकी साड़ी उतार दी. आशा अब मेरे सामने सफेद पेटीकोट और ब्लाउज़ में खड़ी थी.
मैं पीछे से उसका पेटीकोट उठा कर उसकी गांड दबाने लगा. आशा ने भी मेरे कपड़े उतारने शुरू कर दिए.
वो बोली- साहब जी जल्दी से कर लो … मेमसाब भी आने वाली हैं.
शायद उसे नीतू का कोई डर नहीं था … क्योंकि नीतू के संग वो खुली हुई थी.
फिर मैंने उसका ब्लाउज पेटीकोट दोनों उतार दिए. अब उसके बदन पर गुलाबी रंग की जालीदार ब्रा ओर पेंटी ही थी. उसने मुझे ऊपर से पूरा नंगा कर दिया था. उसने नीचे बैठ कर मेरी पैंट उतारी और मेरे लंड को निकाल कर चूसने लगी. थोड़ी देर बाद मैंने उसे खड़ा किया और बेड पर घोड़ी बना कर पीछे से उसकी कमर से कच्छी खिसका कर गांड से नीचे कर दी. मैंने उसकी गांड पर दो थप्पड़ मारे, तो वो ‘आह..’ करके रह गयी.
मैंने उसकी पीछे से चूत को चौड़ा किया और चाटना शुरू कर दिया. आशा मस्ती में ‘आ करो आह साहब जी … ऐसे ही चाटो बहुत मजा आ रहा है..’ बोलने लगी.
थोड़ी देर बाद मैंने उसे बिल्कुल नंगी कर दिया और पीठ के बल लिटा दिया. अपने लंड को उसके मम्मों के बीच में रख कर उन्हें चोदने लगा. मेरा लंड जैसे ही आगे की तरफ जाता, तो उसके होंठों से टकरा जाता.
कुछ देर बाद मैं उसकी टांगों के बीच आ गया और मैंने उसे चोदने के लिए जैसे ही उसकी टांगें उठाईं, तो देखा उसकी चूत के पानी से बेडशीट गीली हो चुकी थी. मतलब वो बिना लंड लिए ही झड़ चुकी थी. मैं उसकी टांगों के बीच में आया और उसकी चूत पर लंड का सुपारा रगड़ने लगा. आशा मस्ती में आकर खुद अपने मोम्मे मसलने लगी.
‘आह साहब जी … अब और मत तड़पाओ … बस डाल दो अन्दर.’
मैंने अपना लंड आशा की चूत पर सैट किया और एक जोरदार झटके से उसके अन्दर पेल दिया. आशा के मुँह से ‘आह हाय उफ्फ..’ की आवाज़ें निकलने लगीं.
मैंने झटके मारने चालू रखे, आशा भी अपनी गांड उठा उठा कर मेरा लंड अपनी चूत में ले रही थी.
उसके मुँह से ‘अअअअ उम्म्ह… अहह… हय… याह… हाय…’ की आवाजें आ रही थीं. मैं उसके काले मोटे मम्मों को कभी चूसता, तो कभी हाथों से मसल देता. कुछ देर बाद आशा थक गयी.
वो ‘आह आह आह उफ्फ उफ्फ..’ किये जा रही थी. मैं समझ गया कि वो थक गई है. मैंने उसकी चूत से लंड बाहर निकाला और उसके मुँह में दे दिया. आशा कुल्फी की तरह मेरा लंड चूसने लगी.
फिर मैंने आशा के बाल पकड़े और उसका मुँह चोदने लगा. मैं अपना पूरा लंड उसके मुँह में अन्दर करने लगा. मेरे ऐसा करने से आशा की सांस रुकने लगी और उसकी आंखों से आंसू निकलने लगे. वो मुझे आंखों के जरिये लंड बाहर निकालने की विनती करने लगी. मैंने अपना लंड उसके मुँह से बाहर निकाला, तो वो जोर जोर से सांस लेने लगी. मेरा लंड उसके थूक से बिल्कुल गीला हो चुका था. मैंने फिर से अपना लंड उसके मम्मों के बीच रख दिया और उसके मोम्मे चोदने लगा.
इस बार उसने दोनों हाथों से अपने मोम्मे दबा लिए, जिससे मेरा लंड बिल्कुल उसके मम्मों में फंस गया. अब मुझे लंड आगे पीछे करने में थोड़ी दिक्कत होने लगी.
कुछ देर बाद मैंने आशा को घोड़ी बनाया और उसके चूतड़ों पर हाथ फेर कर उसके चूतड़ों का छेद चौड़ा किया.
आशा समझ गई और बोली- नहीं साहब जी प्लीज मेरी गांड मत मारना … बहुत दर्द होता है.
मैंने कहा- घबराओ नहीं … मैं तुम्हें दर्द नहीं होने दूंगा.
वो पलट कर बैठ गयी और बोली- नहीं साहब जी … आपके लंड ने तो मेरी चूत का ही बाजा बजा दिया है, तो मेरी गांड तो फाड़ ही देगा. आप फिर कभी मेरी गांड मार लेना.
मैंने कहा- कोई बात नहीं, चलो फिर से घोड़ी बन जाओ.
वो घोड़ी बनी और मेरे लंड पर एक चुम्मी लेकर बोली- मेरे अच्छे साहब जी.
मैं उसके पीछे गया और लंड उसकी चूत में पेल दिया. वो फिर दर्द से कराह उठी और इतनी जोर से ‘उईई आह माँ आह आह मर गयी’ चीखी कि उसके चिलाने की आवाज़ से नीतू नंगी ही बाथरूम से बाहर आ गयी.
वो बोली- आशा तू तो साली ऐसे चिल्ला रही है … जैसे पहली बार इनसे चुद रही हो.
मैंने धक्के मारना जारी रखा, तो वो नीतू से बोली- दीदी, साहब जी का लंड बहुत दमदार है. आज सुबह की चुदाई के मुकाबले अब और भी मोटा लग रहा है.
थोड़ी देर बाद वो ‘आह आह उ उ हाय सी सी..’ करके चादर को नोंचने लगी और झड़ गयी.
मैंने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी. इतने में नीतू नंगी ही आशा के पास आकर बैठ गयी और उसके लटकते हुए मम्मों को मसलने लगी.
नीतू घूम कर मेरे पीछे आयी और उसने मुझे झप्पी डाल दी. अब जैसे जैसे मैं आशा की चूत में लंड पेल रहा था, वैसे वैसे नीतू के मोम्मे मेरी कमर से टकरा रहे थे. इससे मुझे और जोश चढ़ गया. मैं और तेज तेज धक्के मारने लगा. उधर आशा का थकान और झड़ जाने से बुरा हाल हो रहा था. उसकी चूत का पानी उसकी जांघों पर बह रहा था.
कुछ देर बाद मेरा भी छूटने वाला था, तो मैंने उसकी चूत से लंड निकाला और उसे मुँह खोलने को कहा.
आशा ने जीभ बाहर निकाल मुँह खोला, इतने में नीतू सामने आ गई और उसके मुँह के सामने मेरी मुठ मारने लगी.
मैंने मजे से आंखे बंद कीं और नीतू की गांड पर हाथ फेरने लगा. कोई एक डेढ़ मिनट बाद जब मेरा पानी छूटा, तो उसकी पिचकारी सीधी आशा की जीभ पर गिरी … और मेरा कुछ माल नीतू के हाथों पर भी लग गया, जिसे नीतू ने आशा के मम्मों पर लगा दिया. आशा मेरा सारा माल चट कर गयी. वो चुदाई की मस्ती से फारिग होकर मेरे और नीतू की तरफ देख कर शर्मा गयी और अपना चेहरा हाथों में छुपा लिया.
नीतू बोली- अब जल्दी से दोनों कपड़े पहनो … और सर आप बाहर ड्राइंग रूम जाओ. भाभी बस आने वाली हैं.
मैंने कपड़े पहने और एक सिगरेट सुलगा कर बाहर आकर बैठ गया.
कुछ देर बाद डोरबेल बजी, तो आशा बाहर दरवाजा खोलने आयी. वो मुझे देख कर मुस्कुराई और अपनी साड़ी के ऊपर से अपनी चूत दबा कर बोली- बहुत दुख रही है.
वो दरवाजा खोलने चली गयी. वन्दना अपने बेटे के साथ अन्दर आयी और मुझे देख कर खुश हो गयी. उसने अपने बेटे को आशा के साथ अपने रूम में सुलाने के लिए भेज दिया.
वन्दना मेरे होंठों पर एक हल्की सी किस लेते हुए बोली- आप कब आए?
मैंने उसकी गांड दबाते हुए बोला कि बस थोड़ी देर पहले आया था. अभी वापिस जाना है … आज नाईट शूट है.
ये सुन कर वन्दना हंसने लगी और बोली- ऐसा कौन सा सीन रह गया, जो तुम लोग दिन में शूट नहीं कर पाए.
मैं बोला- दिन में तो बस स्क्रीन टेस्ट ही लिया है … असली शूटिंग तो रात को होगी.
वन्दना हंसते हुए बोली- बड़े कमीने हो आप.
इतने में नीतू भी तैयार हो कर आ गयी. उसने इस समय एक टाइट ब्लैक जींस और काली सफेद धारियों वाला टाइट टॉप डाला हुआ था. जिसमें से उसके मम्मे बिल्कुल तने हुए थे. उसके हाथ में एक कपड़ों का बैग था. वन्दना को वो हैलो बोल कर वो मेरे सामने वाले सोफे पर बैठ गयी. वन्दना को नाईट शूट के बारे बताने लगी.
वन्दना बोली- तुम आराम से शूटिंग करो, चिंता की कोई बात नहीं.
इतने में आशा चाय लेकर आ गई. हम सबने चाय पी और मैं नीतू के साथ जाने के लिए खड़ा हो गया.
वन्दना हमें दरवाजे तक छोड़ने आयी. मैंने नीतू को कार की चाबी दी और बैग रखने को बोला. फिर पीछे मुड़ कर वन्दना की गांड दबाते हुए उसके होंठ चूमने लगा. वन्दना भी मेरे लंड को सहलाने लगी.
उसने मुझे अलग किया और बोली कि नीतू को कम चोदना … कहीं ये कल ढंग से चल भी न पाए, क्योंकि कल रात को मम्मी जी और साहिल वापिस आ रहे हैं … और कल आप जल्दी आ जाना … क्योंकि कल का सारा दिन शाम तक मैंने आप के साथ बिताना है.
मैंने उसे ओके बोलकर से चूमा और नीतू को लेकर स्टूडियो आ गया.
मैंने गेट का लॉक खोला, तो नीतू जल्दी से भाग कर वाशरूम में घुस गई. शायद उसे बहुत तेज मूत आया था. मूतने की जल्दी में उसने दरवाजा भी नहीं बंद किया. मैं बाहर से ही उसे मूतते हुए देख रहा था. उसके मूतने की आवाज बाहर तक आ रही थी.
उसने मूतने के बाद टॉयलेट पेपर से अपनी चूत साफ की और हाथ धोकर बाहर आ गयी. मैं रेस्ट रूम के सोफे पर बैठ कर सिगरेट पीने लगा.
नीतू भी आकर मेरी बगल में बैठ गयी और मुझसे बोली- तो अब क्या क्या करने का इरादा है जनाब का?
मैं बोला- आज की रात सब कुछ तुम्हारी मर्जी से होगा. जैसा तुम चाहोगी … मैं वैसे वैसे करूंगा.
इस पर नीतू बोली- नहीं जानू हम दोनों सब मिल कर करेंगे.
मैंने सिगरेट का एक लंबा कश खींच कर सिगरेट बुझाई और धुआं नीतू के मुँह पर छोड़ते हुए उसके होंठों को चूमने लगा. उसके टी-शर्ट के ऊपर से मोम्मे दबाने लगा.
अब आज रात नीतू की चुदाई की कहानी का मजा कैसा होगा, इसको विस्तार से अगले भाग में लिखूंगा.
दोस्तो, किसी कारण से मैंने अपनी ईमेल आईडी बदल ली है. मेरी सेक्स कहानी के बारे में आप अपने कमेंट्स अब [email protected] या फिर hangsout पर करें, धन्यवाद.
कहानी जारी है.