यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
नमस्ते फ्रेंड्स! कहानी के चौथे भाग में आपका स्वागत है.
मैंने पूछा- सुहागरात की उस पहली चुदाई के बाद क्या हुआ था?
सुहाना:
हम दोनों एक दूसरे से चिपके हुए थे, उनकी टांग मेरे कमर पर टिकी हुई थी, हम दोनों कब सो गये मुझे पता ही नहीं चला.
लेकिन मेरी नींद खुली जब मुझे लगा कि मेरे मम्मे के दाने को खूब जोर-जोर से चूसा जा रहा है और दूसरे दाने को मसला जा रहा है।
पहले तो मैं नींद में होने के कारण आलस्य कर गई, लेकिन दर्द ने मेरे आँखों की नींद गायब कर दी। देखा तो साहिल मेरे दोनों मम्मों के साथ खेल रहे थे.
मुझे नींद से जागा देख कर बोले- अरे, तुम जाग गई!
मैंने भी थोड़ा मुंह बनाते हुए कहा- उंह… इतनी तेज तेज से तुम मेरे मम्मे को काट रहे हो, जग तो जाऊंगी ना!
‘ओह सॉरी यार, मैं तुम्हें जगाना नहीं चाहता था, जोर से पेशाब लगने के कारण मेरी नींद खुल गई और जब मैं पेशाब करके लौटा तो तुम्हारे सुन्दर मम्मे पर नजर चली गई और फिर मुझे तुम्हारा दूध पीने का मन करने लगा, इसलिये न चाहते हुए भी तुम्हारा दूध निकालने के लिये मेरे मुंह ने तुम्हारे मम्मों पर धावा बोल दिया।’
‘पीना तो तुम प्यार से भी तो पी सकते थे, इतना जोर-जोर से क्यों काट रहे थे?’
‘क्या करें यार, तुम्हारा दूध निकल ही नहीं रहा था!’ बड़े मासूमियत से वो बोले.
और मुझे भी नहीं मालूम था कि मेरे मम्मे से दूध कैसे निकलेगा, वो तो कुछ दिन बाद पता चला कि मम्मे से दूध नहीं निकाला जाता वो तो लड़की को भड़काने के लिये पिया जाता है और मेरे बदन में आग भड़क चुकी थी, मैंने साहिल को धकेला और उसके ऊपर चढ़ गई और उसके निप्पल को चूसने लगी.
तभी साहिल बोले- आओ तुम मेरे ऊपर उल्टा लेटकर अपनी चूत मेरी तरफ कर लो और मेरे लंड को अपने मुंह में लो।
‘मैं नहीं समझी?’
तो उन्होंने मुझे अलग किया और मुझे सीधा लेटाकर मेरे ऊपर लेट गये, इस समय उनका मुंह मेरी चूत की तरफ था और उनका लंड मेरे मुंह के पास फड़फड़ा रहा था। वो मेरी चूत को चूमने ही वाले थे कि मैं बोली- साहिल मुझे पेशाब लगी है, मैं पेशाब कर आऊं तो फिर ये वाला खेल खेलेंगे।
‘ओ.के….’
मैं बाथरूम गई, पेशाब किया और अपनी चूत को अच्छे से साफ किया ताकि उसके अन्दर जो भी खून लगा हो वो भी साफ हो जाये।
मैं वापस आई।
साहिल सीधे लेटे हुए थे, मैं उनके ऊपर उसी तरह से लेट गई और उनके लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी, साहिल भी मेरी चूत को अच्छे से चूसने लगे। साहिल कभी मेरे फांकों को खोल कर उसके अन्दर अपनी जीभ डालते तो कभी वो मेरी पुतिया को लेकर चूसते तो कभी फांकों के ऊपर या फिर जांघ के आस पास या फिर मेरे गांड के छेद में अपनी जीभ से चाटते।
जब वो मेरी गांड के छेद में अपनी जीभ लगाते तो मैं उनको मना करती, लेकिन वो कहते ‘तुम अपना काम करो और मैं अपना!’
मैं साहिल को नाराज नहीं करना चाहती थी इसलिये मैंने उनको कुछ नहीं बोला।
सुहाना की बात को काटकर मैंने पूछा- सुहाना एक बात बताओ, साहिल ने अपना काम किया और तुमने साहिल के लंड के साथ क्या किया?
पहले तो मैं साहिल के लंड के सुपाड़े को ही मुंह के अन्दर लेती रही, लेकिन जब देखा कि साहिल मेरी चूत को बड़े प्यार से मजा दे रहे है और मुझे उनके ऐसा करने में मजा आने लगा तो मैंने भी संकोच छोड़ दिया और उनके सुपारे के चमड़े को हटाकर चाटने लगी और जैसे-जैसे साहिल मुझ से बोले जा रहे थे, मैं वैसे ही किये जा रही थी, मुझे भी उनके बताये तरीके से लंड पीने का मजा आने लगा।
कुछ देर तक यूं ही चलता रहा, फिर साहिल ने मुझे अपने ऊपर से हटाया और बेड से उतर कर मेरे चूत में अपना लंड पेल कर धक्के मारने लगे। पहले पहले वो धीरे-धीरे धक्का मार रहे थे, उसके बाद वो थोड़ा तेज धक्का मारने लगा, बहुत देर तक तो वो उसी तरह से मुझे चोदते रहे, उसके बाद उन्होंने मुझे पेट के बल पलट दिया और मुझे कुतिया स्टाईल में खड़ा कर दिया और फिर पीछे से वो धक्का मारने लगे, इस पोजिशन में मुझे बहुत आनन्द आ रहा था और मैं साहिल को और जोर-जोर से मुझे चोदने के लिये उत्साहित कर रही थी।
साहिल भी अपनी रफ्तार पकड़ चुके थे।
फिर अचानक उन्होने अपने लंड को मेरी चूत से निकाला और बेड पर लेटते हुए बोले- अब तुम मेरे लंड की सवारी करो!
इतनी देर में मैं समझ चुकी थी कि अब मुझे क्या करना है, मैं उनको क्रास करती हुई उनके लंड को अपनी चूत के अन्दर लेकर उन पर थोड़ा झुक गई और लंड को चोदने लगी, एक बार फिर साहिल बोले- और मजा लेना हो तो सीधे होकर मजा लो!
उनके कहने से मैं बिल्कुल सीधी हो गई और लंड के ऊपर उछलने लगी, इतनी देर में एक बार पहले झड़ चुकी थी और दुबारा झड़ने के करीब आ चुकी थी, लेकिन साहिल का लंड अभी भी टाईट था।
तभी साहिल ने मुझे रोका और फिर मुझे बिस्तर पर सीधा लेटा दिया और मेरे ऊपर चढ़ गये और फिर मुझे चोदने लगे, मैं दुबारा झड़ चुकी थी, और साहिल भी दो चार धक्के देने के बाद मेरे ऊपर गिर गये, उनके अन्दर से लावा निकलकर मेरे अन्दर गिर रहा था।
फिर उन्होने अपना लंड मेरी चूत से निकाल लिया और फिर हम दोनों एक दूसरे से चिपक कर एक बार फिर सो गये।
‘सुहागरात को तुम दोनों ने दो बार चुदाई की।’
‘हाँ!’ सुहाना बोली।
‘अच्छा एक बात कहूँ…’ मैंने उसकी सख्त गांड पर हाथ फिराते हुए कहा- तुम्हारी गांड भी बहुत मस्त है, मन कर रहा है इसको काट कर खा जाऊँ।
‘तुम जो चाहो मेरी गांड और चूत के साथ कर सकते हो, तुम जैसा कहोगे, मैं वैसा ही करूंगी।’
सुहाना के इतना बोलते ही मैंने उसको पलटा दिया और उसको उसकी पीठ से चूमना शुरू किया और चूमते-चूमते उसके उभारों को काट लिया।
‘उईईई…’ ये क्या कर रहे हो?’
‘कुछ नहीं…’ मैंने कहा- बस प्यार कर रहा हूँ।
फिर मैंने उसको वापस पलटा दिया और उसके पैरों से उसको चूमने की शुरूआत की, मैं उसके घुटने के पास बैठ गया, हम दोनों की पोजिशन घड़ी में बज रहे 9 की तरह थी। मैंने उसकी टांगों को अपने पैरों के ऊपर रख लिया और उसके पैरों को बारी-बारी से सहलाने लगा और बीच-बीच में चूमने लगा.
हम दोनों के बीच थोड़ी सी खमोशी थी, सुहाना की उंगलियाँ उसके अपने मम्मे पर खेल खेल रही थी।
मैं उसके पैरों को चूमते हुए उसकी फांकों के बीच ले जाता और फिर चूत के अन्दर उंगली डाल देता, ‘सीईईईई ईईईईई…’ करके फिर वो मेरी तरफ देखती और मुस्कुरा देती।
मैंने खामोशी तोड़ते हुए कहा- सुहाना, फिर क्या हुआ बताओ?
सुहाना ने मेरी बांह को पकड़ा और मुझे अपने बगल में लिटा लिया। अब हम दोनों करवट लेकर एक दूसरे के सामने थे। उसने अपनी हथेली में मेरे लंड को दबा लिया और मेरी उंगली उसकी चूत के अन्दर घूमने लगी।
सुहाना: सुबह का समय था, मुझे पेशाब बहुत तेज लग रही थी, मैं उठी और पेशाब करने के लिये बाथरूम में अन्दर जा ही रही थी कि मैंने देखा कि साहिल पूर्ण रूप नग्न शॉवर के नीचे खड़े थे, फिर मुझे अचानक याद आया कि अरे मैंने भी तो कपड़े नहीं पहने है। मुझे पेशाब भी बहुत तेज लगी थी, मैं समझ नहीं पा रही थी कि मुझे क्या करना चाहिये क्योंकि यह मेरे जीवन की शुरूआत थी और मैं नहीं चाहती थी कि मेरा साहिल पर बुरा इम्प्रेशन पड़े.
मैं मुड़ी… पर तभी साहिल की नजर मुझ पर पड़ गई, झट से उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी तरफ मुझे खींच लिया और सीने से मुझे दबा कर बोले- जान, गुड मॉर्निंग!
पानी मेरे ऊपर भी गिर रहा था और मैं भी बिल्कुल भीग गई थी, उनका तना हुआ लंड मेरी चूत को टच कर रहा था और मैं जितना पेशाब को रोके हुई थी वो अब निकलने लगा, मैंने कस कर अपनी आँखें बन्द कर ली थी, मुझे बड़ी शर्मिन्दगी हो रही थी कि साहिल मेरे बारे में क्या सोंचेगे, वो अभी भी मुझे कस कर दबाये हुए थे, शॉवर से मेरे सिर के ऊपर पानी गिर रहा था और नीचे मेरे मूत्रद्वार से मूत निकल रहा था। मेरा पूरा पेशाब निकल चुका तो मैं अब अपने को रिलेक्स महसूस कर रही थी।
तभी मेरे कान में आवाज सुनाई पड़ी- जान, पेशाब कर लिया?
अब मेरे काटो तो खून नहीं… मैंने उनकी तरफ प्रश्न भरी नजर से देखा कि उन्हें कैसे पता लगा, वो मेरी नजर को समझते हुए बोले- घबराओ नहीं जान, मेरा लंड तुम्हारी चूत से लग कर प्यार कर रहा था कि तभी तुम्हारे अन्दर से गर्म-गर्म पानी मेरे लंड के ऊपर गिरने लगा।
फिर उन्होंने झुक कर मेरे होंठों को चूमना शुरू कर दिया और फिर धीरे-धीरे नीचे की तरफ बढ़ने लगे और मेरे निप्पल को बारी-बारी चूसने लगे, उसके बाद और नीचे आते हुए मेरी नाभि पर अपनी जीभ चलाने लगे।
उनकी जीभ और नीचे की ओर उतरती जा रही थी और उस जीभ ने सीधा मेरी चूत के ऊपर अटैक किया, थोड़ी देर तो उनकी जीभ मेरी चूत के इर्द-गिर्द ही चल रही थी, उसके बाद सीधे मेरी फांकों के बीच अपना करतब दिखाने लगी.
मेरे जिस्म में सनसनाहट सी दौड़ने लगी, मेरी जांघे आपस में सिमट चुकी थी, इतना वो बता पाई थी कि उसका हाथ जो अभी तक मेरे लंड के सुपारे पर चल रहा था, अब मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में लेकर अपनी चूत पर चलाने लगी.
उसकी उत्तेजना देखकर मैं उठा और उसकी टांगों के बीच बैठ गया, लेकिन वो बोली- नहीं सक्षम, ऐसे ही मजा आ रहा है!
मैं फिर उसके बगल में उसके साथ सट कर लेट गया- तो फिर आगे क्या हुआ?
उसके होंठों को चूमते हुए पूछा.
सुहाना: मेरे जिस्म में सनसनाहट बढ़ती जा रही थी, मैंने उनके सिर को अपनी दोनों जांघों के बीच कस कर जकड़ लिया और साहिल मेरे कूल्हों को कस-कस कर दबाने लगे, मेरी चूत पर उनकी जीभ चल रही थी और मेरे कूल्हों पर उनका हाथ!
फिर अपनी सनसनाहट का उनको इशारा करने के लिये मैंने उनके गालों को अपने हाथों से अपनी तरफ करके अपने होंठ उनके होंठों से मिला दिए, वो समझ चुके थे, वो भी खड़े हो गये और एक बार फिर हम दोनों एक दूसरे के होंठ चूसने लगे.
कुछ सेकेण्ड के बाद मैं भी उनकी स्टाईल से उनके जिस्म पर अपनी जीभ चलाने लगी, उनका लंड काफी तन गया और लोहे के रॉड की तरह दिखने लगा.
तभी उन्होंने मुझे गोदी उठाया और बेड पर ला कर पटक दिया और मेरी चूत में अपना लंड पेलते हुए बोले- मेरी जान, सुबह सुबह सुहाग दिन मनाना भी अच्छा लग रहा है, अब तुम्हारी चूत का भोसड़ा बनाने जा रहा हूँ!
इतना कहकर जोर-जोर से धक्का मारे जा रहे थे, मुझे समझ में नहीं आ रहा था, लेकिन उनकी बातें मेरे कानों में पड़ रही थी.
‘क्या कह रहे थे?’ मैंने पूछा.
‘यही, अरे चूत रानी मादरचोद तेरा भोसड़ा न बना दूं तो मेरा लंड लंड नहीं…’ फिर उनके हाथ मेरी चूची पर आ गये और जोर-जोर से दबाते हुए बोले जा रहे थे- ले मादरचोद, ले धक्का!
अब मेरे मुंह से दर्द भरी आवाज उम्म्ह… अहह… हय… याह… निकल रही थी लेकिन वो धक्के और गाली बकने में मस्त हुए जा रहे थे, मेरी आँखों से आंसू निकल पड़े, मुझे लगा अब और कितना दर्द सहना पड़ेगा, मैं पहले ही पानी छोड़ चुकी थी, चप चप की आवाज कमरे में गूंजने लगी.
फिर अचानक उन्होंने अपनी स्पीड और बढ़ा ली और 10-12 धक्के के बाद वो ढीले पड़ गये और मुझे मेरी चूत के अन्दर गर्म लावा बहने का अहसास होने लगा।
तभी उनकी नजर मेरी आँखों में पड़ी, बोले- यह क्या सुहाना, तुम तो रो रही हो?
‘कुछ नहीं ऐसे ही आंसू निकल आये!’
फिर मेरी चूची को देखकर और उस पर अपनी पप्पी की बौछार करते हुए बोले- सुहाना मेरी जान, माफी चाहता हूँ, जो मैंने तुम्हारे साथ इस तरह किया, लेकिन मैं क्या करूं, मुझे अचानक बहुत मजा आने लगा था, इसलिये ऐसा हो गया।
उनकी बातों से मुझे तसल्ली हो गई थी, मैंने कहा- कोई बात नहीं, आप जब जैसे चाहे अपना मजा ले सकते हैं!
बदले में वो भी बोले- तुम भी निःसंकोच मुझसे जैसा चाहो, मजा ले सकती हो!
इतना कहने के साथ एक बार फिर उन्होंने मुझे उठाया और नहलाने लगे।
मैंने उनको दो मिनट रूकने के लिये और बाथरूम के बाहर जाने के लिये बोला, वो अन्जान बनते हुए बोले- अरे मैं अपनी नई नवेली दुल्हन को नहला रहा हूँ न!
‘तुम मत परेशान हो!’ मैं थोड़ा दाँत पीसते हुए बोली- जाओ प्लीज, मुझे शिट आई है।
‘ओह, तो इसमें क्या है, वो पॉट है, उसमे बैठ जाओ, मैं यहाँ खड़ा हूँ।’
मैंने उनको लगभग धकेलते हुए बोला- अब एक दिन में मुझे बेशर्म न बना दो!!!!
और अन्दर से दरवाजा बन्द कर लिया।
उस पाँच मिनट में उन्होंने कम से कम 10 बार बोला होगा- जान अब मैं आ जाऊँ?
हार कर मैंने उन्हें अन्दर बुला लिया, वो अन्दर आकर मेरे जख्मों पर और नमक डालते हुए बोले- जान, इतनी भी क्या जल्दी थी, आराम से कर लेती!
मेरा मुक्का उनके ऊपर तन गया, लेकिन उन्होंने हाथ को पकड़कर चूम लिया और बोले- जान, मैं तो मजाक कर रहा था। मैं तो यह चाहता हूँ कि मेरे साथ तुम जितना फ्री रहना चाहो, तुम रहो क्योंकि बाकी सारी उम्र तुम्हें मेरे घर के कस्टम को निभाते हुए बिताना पड़ेगा।
मैं उनकी बात सुनकर उनसे सॉरी बोली और उनसे चिपक गई।
फिर उन्होंने मुझे अच्छे से नहलाया और मेरे जिस्म को बड़े प्यार से तौलिये से सुखाने लगे. उसके बाद मुझे इतने अच्छे से तैयार किया कि शादी वाले दिन पार्लर वाली ने भी नहीं तैयार किया था, हाँ बस उन्होने मुझे पैन्टी ब्रा नहीं पहनने दिया।
कहानी जारी रहेगी.
[email protected]
[email protected]