हाई फ्रेंड्स! मेरी कहानी के पहले भाग सालगिरह की यादगार चुदाई की कहानी-1 में मेरी सारी प्लानिंग की माँ चुद गई, सोचा था कि शादी की सालगिरह पर पति से खूब चुदवा कर अन्तर्वासना पर सेक्सी कहानी भेजूंगी, पर पहली रात मेरे पति मुझे चोद कर सो गए, अगले दिन उन्हें टूअर पर जाना था.
रात की चुदाई के बाद दोनों नंगे सो गए, सुबह उठे तो कपड़े पहन कर मैं फ्रेश हुई, नाश्ता बनाया और तब तक मेरे पति भी फ्रेश होकर आ गए।
सुबह 9 बजे ही वो अपने काम से 3 दिन के लिए बाहर चले गए।
थोड़ी देर बाद उनका फोन आया कि ट्रेन मिल गई है और ‘अब आराम से रहना! बोल कर फ़ोन काट दिया।
तभी दरवाजे पर घण्टी बजी, मैं टाइम देखते हुए सोचने लगी कि 10 बजे कौन आया होगा?
मैंने जाकर दरवाजा खोला।
‘नमस्ते भाभी जी!’
यह रोनित है, मेरे पति के ऑफिस में काम करता है।
मैंने मुस्कुरा कर अन्दर आने का इशारा किया, उसने अंदर आते ही मुझे पीछे गले लगा लिया, मैंने किसी तरह दरवाजा बंद किया और डांटते हुई बोली- कोई देख लेता तो?
वो मुझे चूमते हुए बोला- आज तक किसी ने देखा क्या..
मुझे भी हँसी आ गई।
आप लोग सोच रहे होंगे कि ये क्या…
तो बता दूँ कि मैंने ऊपर भी लिखा है कि मैं अपनी जवानी का पूरा मजा ले रही हूँ।
कॉलेज में मस्ती करने लगी थी, कॉलेज में मैंने 3 यारों के साथ अपनी जवानी रंगीन की थीं, एक तो कॉलेज का प्रोफेसर था.
रोनित से मैं 5 महीने पहले मिली थी, शादी के बाद मैंने अपने पति के साथ मजे किये थे जबकि शादी से पहले और कॉलेज के बाद भी मैं दो आशिकों के साथ मस्ती करती थी.
पति अच्छी चुदाई करते हैं पर मेरे मन नहीं भरता था।
उस दिन रोनित जब आया तो मैंने उसे अपने शरीर पर आँख सेकते औऱ अपना लंड ठीक करते देखा था.
उसे मेरे पति के टूर पे जाने का पता था फिर भी मैंने पूछा- ऑफिस नहीं जाना क्या?
वो मुस्कुराते हुये- आधे दिन की छुट्टी ली है।
अब रोनित मेरे सामने आ गया और अपने होंठों को मेरे होंठों पे लगा दिया. हम दोनों एक दूसरे को चूमने लगे, उसके हाथों ने मेरी शरीर को सहलाना शुरू कर दिया, मैं भी उसके शर्ट के बटन खोलने लगी।
चूमते चूसते चाटते एक दूसरे के कपड़े खोलने लगे, अब मैं उसके सामने काली ब्रा पेंटी में थी और वो अपनी अंडरवियर में!
मैंने उसकी अंडरवियर नीचे करते हुए उसे सोफे पर बैठने का इशारा किया।
उसका मूसल सा लंड मेरे सामने था, मैंने नीचे बैठते हुए उसके लंड को हाथों में लेकर एक चुम्मी दी और लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी.
वो आहें भरने लगा, फिर सामने आकर मेरी ब्रा खोल दी, मेरी चुची पकड़ कर मसलने लगा।
मैं उसके लंड चूस चूम रही थी, उसका लंड मेरी गले में पूरी तरह भरा हुआ था, वो मेरे मुँह को चोदने लगा ‘हहह अहह हहह आह हहह’ उसने मेरा सर अपने लंड पे दबा दिया- चूस साली चूस… अच्छी तरह से चूस… ऐसे…
अब वो पूरे जोश में आ गया था, मेरी हालत खराब हो रही थी.
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फिर उसने मुझे ऊपर किया और मेरी पेंटी उतारी, फिर मेरी चुत चाटनी शुरु कर दी.
‘अहह उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ मेरी चुत पहले ही गीली हो चुकी थी।
उसने उंगली भी डाल दी.
‘आहहह मत तड़पाओ आहहह…’
वो नहीं रुका, 5 मिनट तक उसी तरह करता रहा।
फिर उसने मुझे कंडोम का इशारा किया, मैं वहाँ से उठी और मटकती हुई बेडरूम की ओर चल दी, पीछे पीछे वो भी आया।
मैंने कॉन्डम निकाला, तब तक वो बेड पे आ गया, फिर मैंने उसके लंड को मुँह में लिया, थोड़ी देर चूसने के बाद उस पर कंडोम लगाया।
अब उसने मुझे ऊपर किया और बेड पर झुका कर मेरे पीछे आ गया और लंड मेरी चुत पर लगा कर हल्का धक्का लगाया।
उसके लंड का सुपारा मेरी चुत में घुस गया ‘हम्ममम्म ममम्म आहहह…’
उसने अपने हाथों से मेरी चुची पकड़ी और पीछे से मेरी चुदाई करनी शुरू कर दी और मेरी चुची मसलनी भी!
हय… क्या बताऊँ… मैं तो स्वर्ग में थी, ‘हम्मम म्मम म्मम म्म आ हहह हहह हहह… मेरे राजा, मेरी अच्छी तरह बजा… आहहह…
‘हाँ साली, तेरी तो आज अच्छी तरह बजाऊंगा, रंडी, तेरी चुत बहुत फुदकती है… आ हहह! कैसे अपनी गांड उचका उचका कर चुद रही है पराये मर्द से!’
अब वो जोर जोर से मेरी चुत मार रहा था।
मैं चिढ़ाते हुए उसे बोली- अच्छी तरह कर मेरे राजा… वरना तेरी पत्नी भी किसी और से चुदवायेगी।
‘आहहह…’ अब वो मेरी गांड पकड़ कर अच्छी तरह पूरी चुत में अपना लंड अन्दर बाहर करने लगा, पूरी जोश में!
और फिर मुझे पलट कर मेरे ऊपर आ गया और मेरी चुदाई चालू रखी।
और फिर दस मिनट के बाद 3-4 जोर के झटके मार कर वो भी झर गया और मैं इतनी देर में दो बार झर चुकी थी।
फिर वो उठा और अपने लंड से कंडोम उतारने लगा जो उनके लंड रस से भरा हुआ था, और मेरे बगल में आकर लेट गया।
मैं अभी साँसें भर रही थी, वो अपने हाथों से मेरी चुची पकड़ धीरे धीरे दबाने लगा.
मैंने उनकी तरफ देखा, वो मुस्कुराते हुए बोला- एक और राउंड हो जाये?
फिर एक बार औऱ चुदाई की हम दोनों ने… उसके बाद उसने दोनों कंडोम लेकर अपना रस एक से मेरे मुँह में डाला और एक मेरी चुची पे गिरा दिया।
मैंने भी उसके रस अपनी चुची पर मल दिया।
अब तक दोपहर हो चुकी थी, वो अपने कपड़े पहनने बाहर चला गया, मैं भी उसी तरह हॉल में आई।
फिर उसने मुझे गेट तक छोड़ने को बोला, मैं नंगी ही गेट तक गई, वहाँ उसने मुझे और मेरे चुत को ‘जल्दी मिलते हैं’ बोल कर चला गया।
मैं वापस आकर सोफे पर बैठी सोचने लगी कि मैं कैसी शादी की सालगिरह मना रही हूँ?
फिर कब आंख लग गई पता नहीं… नींद खुली जब दरवाजे की घंटी बजी।
चूत चुदाई की यह सेक्सी कहानी जारी रहेगी…सालगिरह की यादगार चुदाई की कहानी-3
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